अखिलेश के नेता प्रतिपक्ष बनने के मायने

  अखिलेश यादव को सर्वसम्मति से समाजवादी पार्टी के विधान मंडल दल का नेता चुना गया तथा इसके पश्चात विधानसभा के सचिव ने अखिलेश यादव को नेता प्रतिपक्ष के रूप में नामित किया अब सवाल यह उठता है कि अखिलेश यादव ने  संसद सदस्य से इस्तीफा देकर के एक राज्य के विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष बनने में अपनी भलाई समझी ऐसा क्यों? चूंकि अखिलेश यादव की पार्टी एक क्षेत्रीय पार्टी है इसलिए अखिलेश यादव अपने पार्टी को उत्तर प्रदेश में स्थापित रखना चाहते हैं और उत्तर प्रदेश में ही समाजवादी पार्टी का अस्तित्व प्रभावी  रूप से है इसलिए अखिलेश यादव ने यह महसूस किया कि यदि वे नेता प्रतिपक्ष बने रहेंगे तो सरकार की नीतियों की प्रखरता से आलोचना करेंगे और चूंकि उनके पार्टी को इस बार लगभग 125 के करीब सीटें मिली हैं तो विधानसभा में एक मजबूत विपक्ष की भूमिका भी अदा कर सकते हैं ऐसा करके वह अपने पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं में जोश भर सकते हैं और अपनी पार्टी के अस्तित्व को बचाने की कोशिश कर सकते हैं जैसा कि हम सब जानते हैं कि 2022 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी उन्होंने एक के बाद एक तमाम प्रयोग करके अनेक छोटे-छोटे दलों से गठबंधन भी किया परंतु वह अपनी सरकार नहीं बना सके इसलिए अब अखिलेश यादव को आभास हो गया है कि भारतीय जनता पार्टी से निपटना इतना आसान नहीं है इसके लिए बहुत होमवर्क करना पड़ेगा इसलिए उन्होंने तुरंत मैदान संभालते हुए अपनी पार्टी के विधान मंडल दल का नेता बनना स्वीकार किया और नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में आ गए अब देखना यह है कि क्या अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी को आगे बढ़त

दिलायेंगे या समाजवादी पार्टी गर्त में जाएगी

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