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असम के शिवाजी थे लचित बोरफुकन

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 24 नवंबर 1622 को असम के चराईदेव गांव में जन्मे लचित बोरफुकन को असम का शिवाजी कहा जाता है लचित बोरफुकन शिवाजी महाराज की तरह ही एक वीर एवं बुद्धिमान योद्धा थे उन्होंने मुगलों को बड़ी ही चतुराई से धूल चटाई थी और मुगल सेना को उल्टे पांव भागना पड़ा था  अहोम साम्राज्य के कमांडर इन चीफ के पद पर इनकी तैनाती थी उस समय भारत में मुगल बादशाह औरंगजेब का शासन था औरंगजेब एक निर्दयी एवम हिंदू विरोधी था वह भारत के कोने कोने तक मुगल साम्राज्य स्थापित करना चाहता था ताकि वह पूरे भारत को इस्लाममय कर सके ।परंतु भारत के वीर सपूतों महाराष्ट्र में शिवाजी, पंजाब में गुरु गोविन्द सिंह असम में लचित बोरफुकन ने औरंगजेब की नाक में दम कर दिया और जीवन भर उसको उलझाए रखा और उसको भारत भूमि पर मनमानी नहीं करने दी। सराईघाट के युद्ध में लचित बोरफुकन के युद्ध कौशल ने मुगलों के छक्के छुड़ा दिए और मुगल सेना भागने पर मजबूर हुई और यहीं से लचित बोरफुकन असम के शिवाजी बनकर उभरे और असम में उनका वही सम्मान है जो महाराष्ट्र में शिवाजी महाराज का है ।

गुजरात विधानसभा चुनाव तय करेंगे आम आदमी पार्टी की देश में दिशा और दशा

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 वैसे तो समय-समय पर चुनाव होते ही रहते हैं और कई राज्यों में चुनाव हुए हैं और कई राज्य में होने वाले हैं परंतु गुजरात विधानसभा का चुनाव देश की राजनीति को एक नया मोड़ देगा आम आदमी पार्टी पूरी जोर-शोर से गुजरात चुनाव के लिए लगी हुई है और उसको जनसमर्थन मिलता हुआ भी दिख रहा है यदि गुजरात के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को बहुमत मिल जाता है या विपक्ष में मजबूती के साथ उभरती है तो इससे भारतीय राजनीति में भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ एक मजबूत विपक्ष के रूप में आम आदमी पार्टी का स्थान बन जाएगा जैसे जैसे देश में कांग्रेस पार्टी का ग्राफ गिर रहा है आम आदमी पार्टी उसकी जगह लेती जा रही है और देश में भाजपा से असंतुष्ट लोगों के लिए पहली पसंद बनती जा रही क्योंकि गुजरात मॉडल से ही भाजपा देश में प्रचंड बहुमत के साथ विजई हुई थी और नरेंद्र मोदी एक स्टार बनकर उभरे थे यदि गुजरात में आम आदमी पार्टी भारतीय जनता पार्टी को परास्त कर पाती है या फिर कड़ी टक्कर दे पाती है इससे भाजपा के गुजरात मॉडल पर प्रश्नचिन्ह लगना तय है और आम आदमी पार्टी का उभार निश्चित है ।